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संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने आक्रामक तेवर अपनाकर भारत के खिलाफ जहर उगला। ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ वह अपने देश की जनता को सम्बोधित कर रहे हैं। भारत विरोध पाकिस्तानी विदेश नीति का हिस्सा रहा है। पाकिस्तान चौतरफा दबाब में है। अफगानिस्तान और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने भी पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का आक्षेप लगाया।
यूएन ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के सैयद सलाहुद्दीन को चरमपंथी घोषित कर उसके संगठन पर प्रतिबन्ध लगा दिया। पठान कोट हमले का सरगना पाकिस्तान द्वारा कब्जा किये गये कश्मीर के आतंकी संगठन जैश मुहम्मद का सरगना अजहर मसूद की हिफाजत में चीन वीटो लेकर खड़ा है। लेकिन भारत की कोशिशों के बाद अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन तीनों ने उस पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया है। चीन ने फिर से तकनीकी रूप से रोक दिया, लेकिन नवम्बर में अजहर मसूद का भी फैसला हो जाएगा।
पाक प्रधानमन्त्री का सम्पूर्ण भाषण कश्मीर के इर्द-गिर्द चक्कर काट रहा था। भाषण में आरोपों की लिस्ट थी। उन्होंने भारत को मानवाधिकारों का हनन करने वाला देश ही नहीं, राज्य समर्थित आतंकवाद का पोषक भी बताया। ‘हैवानियत’ भारत सैकड़ों का कत्ल करने वाला है। कश्मीर की जनता आजादी के लिए संघर्ष कर रही है। उनके संघर्ष को कुचला जा रहा है। पाकिस्तान के विरुद्ध आतंकी गतिविधियां चला रहा है। भारतीय सेना कश्मीर की जनता पर पेलेट गन चला रही है, जिसका शिकार हजारों कश्मीरी बच्चे हो रहे हैं। उन्होंने अपने देश को भी आतंकवाद से सताया देश कहा।
यही नहीं, उन्होंने कश्मीर की शान्ति के लिए ऐसे-ऐसे सुझाव सुझाए जो अब बेमानी हो चुके हैं। जैसे कश्मीर में यूएन द्वारा विशेष दूत तैनात करने की मांग की। सुरक्षा परिषद के द्वारा जारी घोषणा पत्र लागू किये जायें। भारत कश्मीरियों के आत्म निर्णय के अधिकार को दबा रहा है। अर्थात जनमत संग्रह, यही नहीं भारत जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन कर रहा है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय जांच होनी चाहिए। भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर एक बुनियादी मुद्दा है। पाक प्रधानमंत्री ने परमाणु युद्ध की भी धमकी दी, उनके पास कम दूरी के परमाणु हथियार हैं। कुल मिलाकर भाषण हास्यास्पद था, ऐसा लग रहा था वे आईएसआई का लिखा भाषण पढ़ रहे हैं।
भारत के प्रतिनिधि ने समुचित उत्तर देते हुए कहा कि पाकिस्तान अब टेररिस्तान बन गया है। यहाँ लगातार चरमपंथी ताकते बढ़ीं हैं। जैसी उम्मीद थी, सुषमा स्वराज जी ने 23 सितम्बर के प्रभावशाली भाषण में पाकिस्तान को 9 मिनट तक आड़े हाथों लिया। पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, आतंकी गतिविधियाँ उनका मुख्य मुद्दा था- पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने जिक्र किया था, कायदे आजम जिन्ना ने पाकिस्तान को दुनिया के देशों के साथ शांति और दोस्ती की नीति विरासत में दी है। सुषमा जी के अनुसार ‘जबकि शान्ति और सौहार्द बढ़ाने का प्रयत्न मोदी जी ने किया’।
कायदे आजम जिन्ना ने फरवरी 1948 में अपने रेडियो ब्रॉडकास्ट में ख़ासकर अमेरिका को सम्बोधित करते हुए कहा था कि उनके देश की विदेश नीति शांति और दुनिया के देशों के साथ मित्रता और सौहार्द की होगी। वह अधिक समय तक नहीं जिये। उनके आगे आने वाले पाकिस्तान नीतिकार जानते थे, वास्तव में पाकिस्तान भारत का कटा हुआ टुकड़ा है। जन्म से वह भारत के विरुद्ध आर्थिक शक्ति ही नहीं, इस्लामिक दुनिया का लीडर भी बनना चाहते थे। वह भारत के विरुद्ध मित्रों की खोज में भी लगे रहे, अपनी नजदीकियाँ अमेरिका गुट ही नहीं चीन और सोवियत रशिया से भी बढ़ाई। मोदी जी ने पाकिस्तान की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाया। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में नवाज शरीफ को भी आमंत्रित किया था। वह स्वयं भी रावल पिंडी गये। यही नहीं भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्तालाप की शुरुआत की, लेकिन पाकिस्तान भारत विरोधी ही रहा।
‘भारत पकिस्तान के खिलाफ स्टेट स्पॉन्सर्ड आतंकवादी विचारधारा अपनाकर चरमपंथी ताकतों की मदद कर रहा है’ के जबाब में सुषमा जी ने पाकिस्तान को सोचने की सलाह देते हुए कहा कि दोनों देश साथ-साथ आजाद हुए थे। भारत ने आईटी क्षेत्र में सर्वोच्चता हासिल कर विश्व में अपनी पहचान बनाई, जबकि पाकिस्तान ने आतंकवाद का पोषण किया। भारत दो मोर्चों पर लड़ रहा है, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, लेकिन घरेलू विकास भी जारी रखा।
भारत में आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थान हैं। एम्स जैसे मेडिकल कालेज हैं। देश में टेक्नोक्रेट, वैज्ञानिकों, डाक्टरों की कमी नहीं है। स्पेस साइंस, साइंस के क्षेत्र में तरक्की की, जबकि पाकिस्तान में हिजबुल मुजाहिदीन, जैश, हक्कानी लश्कर जैसे आतंकी संगठनों, आतंकी कैंप बनाये, जहां जेहादी बनाये जा रहे हैं, जो भारत ही नहीं है विश्व के लिए खतरा बने हुए हैं। भारत में पाकिस्तान से भी लोग जटिल आॅपरेशन कराने भारत आते हैं। भारत के आईआईटी में पढ़े इंजीनियर, आईआईएम में मैनेजमेंट की डिग्रीधारियों की विश्व में जरूरत है। कांग्रेस ने भी सुषमा जी के वक्तव्य की सराहना की। नेहरूजी के प्रयत्नों का परिणाम आईआईटी संस्थान हैं। देश 70 वर्षों से सतत विकास कर रहा है।
हमें ऐसा देश मानवाधिकार का पाठ पढ़ा रहा है जो मानवाधिकार का सबसे अधिक उल्लंघन करता है। इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन है। उनके द्वारा तैयार जेहादियों की पौध मानवता की दुश्मन है। अफगानिस्तान, बांग्लादेश भी आतंकी नीतियों से परेशान हैं। जितना खर्च आतंकियों पर किया जा रहा है, उससे अपने देश का विकास करते, पाकिस्तानी जनता का भला होता। पाकिस्तान आतंकवाद का पोषण कर रहा है, जबकि भारत गरीबी से लड़ रहा है, पाकिस्तानी आतंकियों से भी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कश्मीर में जनमत संग्रह की बात कर रहे हैं। जनमत संग्रह की बात अब बेमानी हो चुकी है। पाकिस्तान कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा किये बैठा है। जनमत संग्रह की शर्त के मुताबिक, उसने कभी अपनी सेनायें नहीं हटाई। अब तो चीन ने सड़क मार्ग बनाकर ग्वादर बन्दरगाह तक जाने का मार्ग बना लिया। किसी भी देश की मध्यस्थता भारत क्यों स्वीकार करे? पाकिस्तान शिमला समझौता और लाहौर समझौता भूल गया है, जिसमें तय किया गया था कि दोनों देश समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय करण नहीं करेंगे। आपसी झगड़ों का निपटारा द्वियपक्षीय वार्ता लाप से सुलझाएंगे। सुषमा जी ने भी विवाद निपटारे के लिए द्विपक्षीय वार्ता का प्रयत्न किया था, लेकिन पाकिस्तान कश्मीर के अलगाववादियों को भी वार्ता में शामिल करना चाहता था।
1971 के युद्ध की पराजय से लिया सबक पाकिस्तान भूल गया, वह समझौता भी जिस पर भुट्टो और इंदिरा जी के हस्ताक्षर हैं। आपसी समस्याओं का निपटारा आपसी बातचीत से किया जाएगा। कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीय करण नहीं होगा। सुषमा जी ने कहा कि पहले गुड और बैड आतंकवाद की बात होती थी, जब से अमेरिका और यूरोप के देश आतंक की गिरफ्त में आयें हैं, समझ में आया आतंकवाद केवल बुरा होता है।
पहले आतंकवाद को देश की कानूनी समस्या कहा जाता था, अब तो यूरोपियन देश भी आतंकी हमलों से परेशान हैं। सबके लिए जनता की सुरक्षा चिंता का विषय है। आतंकवाद के खिलाफ स्टेटमेंट दिए जाते हैं, लेकिन रोकने के कभी भी कारगर उपाय नहीं किये जाते, केवल रस्म अदायगी भर ही होती है। हम अभी तक आतंकवाद को परिभाषित भी नहीं कर सके हैं। आतंकवाद न तेरा है न मेरा, बस आतंकवाद है। ‘मानवता के लिए खतरा’ पाकिस्तान, आतंकवाद में हैवानियत की हदें पार कर चुका है। चीन और पाकिस्तान के अनुसार मेरे आतंकवादी फ्रीडम फाइटर हैं, यह कैसी परिभाषा है? सुषमा जी ने साउथ चायना समुद्र पर चीन के एकाधिकार की कोशिश पर भी प्रश्न उठाया।
अब तो आतंकी हाफिज सईद जैसे आतंक के सरगना राजनीतिक दल बनाकर चुनाव लड़ने और सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रहे हैं। कश्मीर पर ढुलमुल नीति के स्थान पर समस्या के हल के लिए सख्त नीति अपनाई जा रही है। कश्मीर पुलिस, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स और सेना मिलकर काम कर रही हैं। आतंकवादियों को गिरफ्तार करने की कोशिश हो, लेकिन विफल होने पर शूट कर दिया जाये। सेना को खुले हाथ दिए गये हैं, पाकिस्तान द्वारा सीजफायर का उल्लंघन करने पर त्वरिक कार्रवाई हो, आतंकवादियों को पाकिस्तान द्वारा दी जाने वाली फंडिंग पर भी नकेल कसी जा रही है, अलगाववादी परेशान हैं, पत्थरबाज पैसे से सेना पर पत्थर मारते हैं।
आतंकी जंगलों में भाग रहे हैं। जब सेना के साथ उनकी मुठभेड़ होती है, उनकी मदद के लिए पत्थरबाज भी मुश्किल से आ पाते हैं। भारत ने कश्मीर में पिछले कुछ हफ़्तों में जो कार्रवाई की है, वहां बहुत से चरमपंथियों को मार गिराया गया। हालात नियन्त्रण में हैं। इससे पाकिस्तान काफ़ी हद तक घबराया हुआ है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के भाषण का कोई अर्थ नहीं है। वहाँ अभी अंतरिम सरकार है। चुनाव द्वारा किसकी सरकार बनती है, देखना है, लेकिन पाकिस्तान का प्रलाप ऐसे ही चलेगा।
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