Menu
blogid : 15986 postid : 1380071

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं चार वरिष्ठ न्यायाधीशों का विवाद सुलझा

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

sc_2017102802072045_650सुप्रीम कोर्ट

सरकार के तीन अंग व्यवस्थापिका ,कार्य पालिका और न्यायपालिका है संविधान निर्मातों की कोशिश रही है कार्यपालिका और व्यवस्थापिका न्यायपालिका पर हावी होने की कोशिश न करे| संयुक्त राज्य अमेरिका में चेक एंड बैलेंस के सिद्धांत द्वारा शक्ति संतुलन बनाया गया है| भारत के सर्वोच्च न्यायालय को प्रदान की गयी विस्तृत शक्तियाँ  अन्य देशों की न्यायपालिका की तुलना में अधिक हैं | भारत एक संघीय राज्य है अत :संघीय व्यवस्था में सर्वोच्च, स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायालय आवश्यक है यह संविधान की व्याख्या करता है संविधान द्वारा प्रदत्त जनता के मौलिक अधिकारों का रक्षक है | दीवानी एवं फोजदारी सम्बन्धित अपीलों का अंतिम न्यायालय है ,राष्ट्रपति को  विधि सम्बन्धित विषयों में परामर्श देता है लेकिन इनको मानने के लिए राष्ट्रपति विवश नहीं हैं |इनके निर्णयों के रिकार्ड रखें जाते हैं निर्णय नजीर बनते हैं इनका प्रयोग समान विषयों में साक्ष के रूप में किया जाता है| यह केंद्र और राज्यों एवं राज्यों के आपसी विवादों को भी सुलझाते हें | सर्वोच्च न्यायालय ने 28 जनवरी 1950 में कार्य प्रारम्भ किया था |

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों पर कभी टिप्पणी करने की कोशिश नहीं की गयी अक्सर नेताओं को भी कहते सुना जाता है हम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हैं | आजादी के बाद से देश के इतिहास में पहली बार चार सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने प्रेस कांफ्रेंस बुला कर मीडिया के सामने चीफ जस्टिस आफ इंडिया के खिलाफ मोर्चा खोला | उनके अनुसार सात पन्नों का पत्र लिख  कर चीफ जस्टिस के सामने अपना पक्ष रक्खा था लेकिन उनकी कोशिश बेकार रही मजबूर होकर मीडिया के सामने अपनी बात रक्खी |  प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलामेश्वर, मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे सीनियर हैं प्रेस कांफ्रेंस में चेलामेश्वर बात रख रहे थे वाकी जज जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन  लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ उनसे सहमत थे | चारों जजों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली और केस के बंटवारे पर असंतोष जाहिर किया है. उनके अनुसार एपेक्स कोर्ट का प्रशासन व्यवस्थित नहीं है ,सर्वोच्च न्यायालय की अंदरूनी हालत ऐसी है जिससे  प्रजातंत्र को खतरा है| ये तीनों सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीश हैं हैरानी हुई|  अकसर सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों में कार्यपालिका पर टिप्पणियाँ की जाती रही हैं जन हित याचिकाओं पर निर्णय देते समय सरकार कटघरे में खड़ी की  जाती रही है |  प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद न्यायपालिका और सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया भारत के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं । इन चार जजों में शामिल जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि वे मजबूर होकर मीडिया के सामने आए हैं। कानूनी जानकारों ने इस मामले को अप्रत्याशित करार दिया। उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ, हैरान करने वाला है पूरे संकट का जल्द से जल्द समाधान होना जरूरी है। हो सकता है शायद इन चारों जजों के पास और कोई रास्ता नहीं बचा था।

प्रेस कांफ्रेंस के बाद जस्टिस चेल्मेश्वर से मिलने डी राजा उनके घर गये गये | आनन फानन कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस में अपनी बात संक्षेप में रखते हुए जस्टिस लोया की मौत की जांच निष्पक्ष रूप से होनी चाहिए पर जोर दिया| जस्टिस लोया सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे गेस्ट हॉउस में उनकी तबियत बिगड़ गयी उनका इलाज अन्य जजों की उपस्थिति में किया गया उनकी मृत्यू हो गयी परिवार द्वारा प्रश्न उठाने पर तीन वर्ष बाद कांग्रेस के तहसीन पूनावाला मामले को कोर्ट में ले गये लेकिन अब उनके पुत्र अनुज लोया ने प्रेस में स्टेटमेंट दिया उनके पिता की हार्ट अटैक से मृत्यू हुई है| कांग्रेस विषय को राजनीतिक मुद्दा बनाने का प्रयत्न कर रही है |

कुछ विचारको का मत हैं सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति में सरकार द्वारा क्लोजियम व्यवस्था का विरोध भी असंतोष का कारण है |क्लोजियम व्यवस्था 1993 में स्वीकार की गयी थी इसके  पीछे सुप्रीम कोर्ट की मानसिकता न्यायपालिका की स्वतन्त्रता को बनाये रखना है क्लोजियम में मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठ जजों की कमेटी जजों की नियुक्ति व् उनके तबादलों पर फैसला करती है क्लोजियम की सिफारशों को मानना सरकार के लिए आवश्यक है | संविधान द्वारा मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति महोदय द्वारा की जाती है अन्य न्यायधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से परामर्श लेते हैं |सर्वोच्च न्यायाधीश पद की योग्यतायें , सर्वोच्च न्यायालय का जज भारत का नागरिक हो वह कम से कम पांच वर्ष तक किसी राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायधीश रह चुका हो कम से कम दस वर्ष तक उच्च न्यायालय में प्रेक्टिस कर चुका हो राष्ट्रपति महोदय के विचार में कानून का ज्ञाता हो मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर 6 अक्टूबर, 1993 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय के अनुसार वरिष्टता के सिद्धांत का पालन किया जाएगा वरिष्टता का निर्णय शपथ ग्रहण की तिथि से माना जाएगा |

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर के लिए सरकार द्वारा बनाये राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग एक्ट को पाँच सदस्यीय बेंच ने असंवैधानिक करार किया यही नहीं बड़ी बेंच में मामले को भेजने की याचिका को भी खारिज कर दिया |सुप्रीम कोर्ट में अभी 25 जज हैं इनका कार्यकाल 65 की आयु तक है |

सुप्रीम कोर्ट के जज को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया जटिल है संसद के निचले सदन लोकसभा में जस्टिस को हटाने के प्रस्ताव के लिए 100 सांसदों की सहमती के बाद हटाने का प्रस्ताव सदन में आता है यदि पहले राज्य सभा में लाना है 50 सांसदों की सहमती आवश्यक है कुल सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होना चाहिए फिर यह प्रस्ताव तीन सदस्यों की जाँच समिति के पास जाएगा जाँच समिति से पास प्रस्ताव दूसरे सदन में दो तिहाई से पास होने के बाद राष्ट्रपति महोदय के पास जाता है तब जज अपने पद से हटाया जा सकता है | व्यवस्थापिका और कार्यपालिका को सुप्रीम कोर्ट के जज पर हावी नहीं होने दिया गया |

सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के कई पूर्व जजों व न्यायपालिका से जुड़ी हस्तियों ने वरिष्टतम जजों द्वारा मीडिया में अपनी बात रखने के मामले पर चिंता जाहिर की  श्री राहुल गांधी ने कांग्रेस द्वारा आयोजित प्रेस कांग्रेंस में जस्टिस लोया की मौत की जांच शीर्ष जजों से कराने की मांग की उनके अनुसार भारत का हर नागरिक जिसे न्याय प्रणाली पर भरोसा है वे इस मामले पर गंभीरता से नजर रख रहे हैं. क्योकि पूरा हिंदुस्तान इस लीगल सिस्टम पर भरोसा करता है |

लेकिन यदि असंतोष था उसको  मिल कर सुलझाना चहिये था क्योकि यह सुप्रीम कोर्ट का अन्तिक मामला था अन्य 21 जजों से भी बात होनी चहिये थी| राष्ट्रपति महोदय से भी हस्ताक्षेप करने के लिए कहा जा सकता था |पूर्व जज श्री सोढ़ी को चारों जजों का तरीका उचित नहीं लगा | मीडिया में चर्चे हुए पक्ष और विपक्ष में बहस की गयी| बार काउन्सिल आफ इंडिया ने मीडिया में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा  विरोध जताने को उचित नहीं समझा साथ ही चेतावनी दी राजनीतिक दलों को मामले में हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए न ही फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए | अब संकट का हल निकाल लिया गया चारो जज अपना काम कर रहे हैं |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh